internet shutdown

इंटरनेट शटडाउन 2012 से लेकर दिसम्बर 2019 तक भारत के जम्मू और कश्मीर में सबसे ज्यादा हुआ है

खास बातें

  • इंटरनेट शटडाउन से दुनिया मे सबसे ज्यादा भारत में होता है
  • इंटरनेट शटडाउन का असर देश की अर्थव्यवस्था, बच्चों की शिक्षा और लोंगो के स्वास्थ्य पर भी होता है
  • इंटरनेट शटडाउन से लोगों के मानवाधिकारों का हहनन होता हैै
  • 2014 से 15 दिसम्बर 2019 तक भारत में 357 बार इंटरनेट बन्द किया जा चुका है।
देश में जब भी अशान्ति का माहौल उत्पन्न होता है तो कोई भी सरकार सबसे पहला कदम जो उठाती है, वो है इंटरनेट को बंद करना। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये इंटरनेट सेवायें आखिर उस समय क्यों बंद की जाती हैं? कौन कौन से राज्यों में अब तक इंटरनेट सेवायें बंद की जा चुकी हैं और इन इंटरनेट सेवाओं के बंद होने से कितना नुकसान हुआ है? और सबसे अहम सवाल की कौन से कानून के तहत सरकार इंटरनेट सेवायें बन्द कर सकती है? तो चलिए जानते हैं

इंटरनेट शटडाउन क्यों किया जाता है?

इंटरनेट सेवाओं को बंद करने में सरकार का पहला मकसद होता है हिंसा या अशान्ति के समय किसी भी अफवाह को फैलने से रोकना और प्रदर्शनकारियों को एक जगह इकट्ठा ना होने देना ताकि किसी भी तरह का कोई भी नुकसान न हो। 

इंटरनेट बंद होने की वजह जानने से पहले आपको ये जान लेना जरूरी है कि डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन राज्य सरकारों द्वारा जारी किए गए इंटरनेट शटडाउन के आदेशों का कोई डेटा मेंटेन नहीं  करता है सरकार द्वारा ये जवाब संसद में इंटरनेट शटडाउन पर पूछे गए सवालों पर दिया गया। 

लेकिन एक संस्था ऐसी भी है जो इंटरनेट शटडाउन का  डेटा मेंटेन करती है इस संस्था का नाम है sflc.in जिसका पूरा नाम Software freedom law centre है। sflc ये डेटा अखवारों, RTI, न्यूज चैनलों और अन्य तरीकों से एकत्रित करके अपडेट करता है। और साथ ही वह ये भी चेतावनी देता है कि उसका ये डेटा उतना ही रेलाइवल है जितना कि उसके द्वारा लिए गए स्रोतों का है। इंडिया टुडे की DIU यानी डेटा इंटेलीजेंस यूनिट sflc ने इस डेटा की छानबीन की और इसके जरिए एक रिपोर्ट तैयार की है। 

Internet Shutdown के प्रकार

इंटरनेट शटडाउन के बारें में आपका यह जान लेना जरूरी है कि इंटरनेट शटडाउन आखिर कितने प्रकार का होता है। 
  • कानून व्यवस्था बिगड़ने से पहले किया गया इंटरनेट शटडाउन जिसे प्रिवेंटिव मेजर भी कहा जाता है
  • कानून व्यवस्था बिगड़ने के बाद उसे सुधारने के लिये किया गया इंटरनेट शटडाउन जिसे रिएक्टिव मेजर कहा जाता है।
आंकड़ों की बात करें तो जनवरी 2012 से जनवरी 2019 के बीच पिछले 7 सालों में लगभग 278 बार इंटरनेट सेवायें बंद की जा चुकी हैं जिनमें से 160 बार कानून व्यवस्था बिगड़ने से पहले इंटरनेट शटडाउन किया गया और 118 बार व्यवस्था बिगड़ने के बाद इंटरनेट शटडाउन किया गया। 

ये इंटरनेट शटडाउन कितने समय के लिए किया गया इस बात का भी डेटा दिया गया है 278 में से 60 इंटरनेट शटडाउन ऐसे थे जो 24 घन्टे से भी कम समय के लिए गए, 55 इंटरनेट शटडाउन 24 से 72 घण्टों तक रहे और 39 इंटरनेट शटडाउन 72 घण्टों से भी ज्यादा समय तक चले। बाकी बचे 113 इंटरनेट शटडाउन की अवधि को लेकर sflc के पास कोई डेटा उपलब्ध नहीं है। इंडिया टुडे की DIU की रिसर्च अनुसार अगर 2014 से लेकर 15 दिसम्बर 2019 तक कि बात की जाए तो भारत में 357 बार इंटरनेट बन्द किया जा चुका है।

2012 से बात की जाए तो जम्मू और कश्मीर में सबसे ज्यादा 180 बार इंटरनेट सेवायें बंद की जा गयी हैं, जबकि इस सूची में दूसरे नंबर पर 69 बार राजस्थान और तीसरे नंबर पर 19 बार उत्तर प्रदेश है।

डेटा के मुताबिक भारत में सबसे ज्यादा समय तक जिस जगह पर इंटरनेट शटडाउन रहा है उस जगह का नाम है जम्मू और कश्मीर जहाँ 2019 में ही 5 अगस्त से इंटरनेट सेवायें बंद हैं। 18 दिसम्बर 2019 तक जम्मू और कश्मीर में इंटरनेट सेवायें बन्द हुए 136 दिन हो चुके हैं। वहीं अगर बात करें 2016 कि तो जम्मू और कश्मीर में ही 8 जुलाई 2016 से 19 दिसंबर 2016 तक 133 दिन तक इंटरनेट सेवायें बन्द रही थी। इसके अलावा पश्चिम बंगाल के दार्जलिंग में गोरखालैंड के अजिटेशन के चलते 18 जून 2017 से लेकर 25 सितंबर 2017 तक 100 दिनों के लिए इंटरनेट सेवायें बंद रही थीं।

Internet Shutdown के लिए कानून ?

किसी भी राज्य में उस राज्य का ग्रह विभाग The Temporary Suspension of Telecom Services (Public emergency or public safety) Rules 2017 के तहत इंटरनेट सेवाओं को बंद करने की पावर रखता है और इस डिपार्टमेंट द्वारा लिये गये फैसले का सरकार की रिव्यु कॉमेटी द्वारा रिव्यु भी किया जाता है। यही नही केंद्र सरकार के पास भी इसी कानून के तहत इंटरनेट सेवाएं बंद करने की ताकत होती है। 

इसके अलावा Code of Criminal Procedure (CRPC) 1973 सेक्शन 144 के तहत भी इंटरनेट सेवाओं को बन्द किया जा सकता है। CRPC का सेक्शन 144 डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट या फिर राज्य सरकार द्वारा लगाए गए एग्जेक्युटिव मजिस्ट्रेट को सार्वजनिक शान्ति बनाये रखने के लिए इंटरनेट सेवायें बन्द करने की पावर देता है।

इसके अलावा दी इण्डियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 का सेक्शन 5(2) केंद और राज्य सरकार को यह अधिकार देता है कि वे पब्लिक इमरजेंसी या पब्लिक की भलाई के लिए या फिर भारत की संप्रभुता और अखंडता को बनाये रखने के लिए सूचनाओं के आदान प्रदान को रोक सकते हैं। 

भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई इंटरनेट मार्केट है जहाँ पर अक्सर डिजिटल इंडिया का नारा लगता रहता है वहीं पर इंटरनेट शटडाउन के मामले में दुनिया मे सबसे आगे है।

इंटरनेट क्रियाओं से जुड़ी एक वेबसाइट accessnow.com के मुताबिक 2018 में पूरी दुनिया में जितने भी इंटरनेट शटडाउन हुआ हैं उनमें से 67 प्रतिशत इंटरनेट शटडाउन अकेले भारत मे  हुए हैं। इसके अलावा 2019 की बात करें तो इस वेबसाइट के मुताबिक जनवरी 2019 से लेकर जुलाई 2019 के बीच 80 बार इंटरनेट शटडाउन भारत में हुए हैं जो पूरी दुनिया का 67 प्रतिशत बनता है। लेकिन यहाँ एक बात सोचने वाली है कि ये डेटा किसी देश की जनसंख्या, राजनीति स्थिति या डेमोग्राफिक स्थिति के आधार पर इकट्ठा नहीं किया गया है। यह डेटा केवल संख्याओं की बात करता है यानी किस देश मे कीतनी बार इंटरनेट बन्द हुआ।

इसे एक उदाहरण के द्वारा भी समझ सकते हैं मान लीजिए नॉर्वे जो कि एक यूरोप का देश है, में एक भी दिन इंटरनेट बन्द नहीं हुआ है लेकिन तो नॉर्वे और भारत की आबादी को भी देखना होगा। जिसमें जमीन आसमान का अन्तर है, नॉर्वे की कुल आबादी केवल दिल्ली की कुल आबादी की एक चौथाई भी आबादी नहीं, और ये तो हम सब समझते ही हैं कि जितनी बड़ी आबादी उतनी ही ज्यादा समस्याएं होती हैं।

वहीं क्षेत्रफल की बात करें तो भारत नॉर्वे से लगभग 10 गुना बड़ा देश है और अगर डेमोग्राफिक स्थिति की बात करें तो भारत में हर 100 किलोमीटर पर भाषा और संस्कृति बदल जाती है लेकिन नॉर्वे में ऐसा नहीं है। 

अब यहाँ यह सवाल भी उठ सकता है कि चीन भारत से भी बड़ा देश लेकिन वहाँ भारत की तरह इंटरनेट शटडाउन क्यों नहीं होता? तो इसका जवाब है कि चीन में इंटरनेट को चीन की सरकार द्वारा नियमित और नियंत्रित किया जाता है यानी चीनी सरकार खुद इंटरनेट को मॉनिटर करती है। वहाँ Google, Twitter जैसी कोई भी वेबसाइट काम नहीं करती हैं। और वहाँ कोई भी व्यक्ति सरकार के खिलाफ अगर कोई भी आपत्ति जनक चीजें पोस्ट करता है या सर्च करता है तो चीनी सरकार उसे गिरफ्तार कर लेती है।

Internet Shutdown से कुल नुकसान?

इंटरनेट शटडाउन से होने वाले नुकसानो की बात करें तो इंडियन कॉउन्सिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकनोमिक रिलेशन्स (ICRIER) के अनुमान के मुताबिक भारत में पिछले 5 सालों में लगभग 16 हजार घंटे इंटरनेट बन्द रहा है जिसका नुकसान 3 बिलियन डॉलर यानी लगभग 21500 करोड़ रुपये बनता है। इंटरनेट सेवाओं के बन्द होने से देश की अर्थव्यवस्था, बच्चों की शिक्षा और लोगो के खान पान और रहन सहन पर भी असर पड़ता है, इससे भी अहम यह है कि इससे लोगों के मानवाधिकारों का हनन होता है।

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